अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ पर लगाई रोक, कहा – अधिकारों का उल्लंघन

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ट्रंप के 'लिबरेशन डे' टैरिफ पर लगाई रोक, कहा – अधिकारों का उल्लंघन

अमेरिका की एक व्यापार अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ (आयात शुल्क) को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। अदालत का कहना है कि ट्रंप ने बिना कांग्रेस की मंजूरी के व्यापक स्तर पर आयात शुल्क लगाकर अपनी कानूनी सीमा का उल्लंघन किया है।

यह फैसला न्यूयॉर्क के मैनहैटन स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन जजों की पीठ ने सुनाया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार केवल अमेरिकी कांग्रेस को है – और राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ भी इस अधिकार को खत्म नहीं कर सकतीं।

अदालत का सख्त रुख

अदालत ने यह भी कहा, “हम राष्ट्रपति द्वारा ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को दबाव की रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने की बुद्धिमत्ता या उसकी प्रभावशीलता पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। यह इसलिए अवैध है क्योंकि संघीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता, चाहे वह कारगर हो या न हो।”

यह फैसला पांच छोटे अमेरिकी आयात कारोबारियों और ओरेगन राज्य के अटॉर्नी जनरल डैन रेफील्ड के नेतृत्व में 13 राज्यों के गठबंधन द्वारा दायर मुकदमों के बाद आया। रेफील्ड ने इन टैरिफ को “अवैध, लापरवाह और आर्थिक रूप से विनाशकारी” बताया था।

क्या थे ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ?

अप्रैल में घोषित किए गए ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ के तहत सभी आयातों पर 10% का न्यूनतम शुल्क लगाया गया था। इसके अलावा जिन देशों का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा ज्यादा है (जैसे चीन), उनके लिए और भी ऊँचे शुल्क तय किए गए थे। ट्रंप प्रशासन का दावा था कि यह कदम स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने और व्यापार असंतुलन को सुधारने के लिए उठाया गया।

IEEPA के तहत लिया गया था फैसला

ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत उचित ठहराया था, जिसमें उन्होंने व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपात स्थिति घोषित किया था। लेकिन अदालत ने पाया कि इस कानून के तहत इस प्रकार के टैरिफ को आर्थिक दबाव की रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।

न्याय विभाग की दलील खारिज

अमेरिकी न्याय विभाग ने याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं को अभी कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसलिए वे मुकदमा नहीं कर सकते। लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया, जिससे इस मामले की आगे कानूनी जांच का रास्ता खुल गया।

ट्रंप प्रशासन की सफाई

शुक्रवार को वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक, कोष सचिव स्कॉट बेसेन्ट, व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीयर और विदेश मंत्री व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो ने अदालत में अपना पक्ष रखा।

लुटनिक ने दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप की ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ नीति की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद युद्धविराम संभव हुआ।

लुटनिक ने कहा, “अगर IEEPA की शक्तियों को सीमित कर दिया गया तो इससे उन सभी रणनीतिक प्रयासों पर असर पड़ेगा, जिनमें आर्थिक साधनों का इस्तेमाल किया जाता है। यह युद्धविराम केवल तब संभव हुआ जब ट्रंप ने हस्तक्षेप कर दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापार की पेशकश की।”

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अदालत राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित करती है, तो भारत और पाकिस्तान ट्रंप के प्रस्ताव की वैधता पर सवाल उठा सकते हैं, जिससे पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

बाज़ार की प्रतिक्रिया और आगे की राह

इस फैसले के बाद अमेरिकी डॉलर ने स्विस फ्रैंक और जापानी येन जैसी सुरक्षित मुद्राओं के मुकाबले मजबूती दिखाई। माना जा रहा है कि यह मामला अब वॉशिंगटन डीसी की फेडरल सर्किट कोर्ट और संभवतः सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है।

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