कनाडा अपनी नागरिकता कानून में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। हाल ही में कनाडा की इमिग्रेशन मंत्री लीना मेटलेज डियाब (Lena Metlege Diab) ने संसद में एक नया नागरिकता कानून का विधेयक पेश किया है, जिसे बिल C-3 के नाम से जाना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह नया बिल वंश के आधार पर नागरिकता देने की वर्तमान सीमा को समाप्त कर देगा। यह बिल गुरुवार को कनाडा की संसद में पेश किया गया और इसका उद्देश्य पुराने कानून में मौजूद खामियों को दूर करना है।
क्या कहता है मौजूदा नागरिकता कानून?
कनाडा का मौजूदा नागरिकता कानून कहता है कि जो कनाडाई नागरिक विदेश में जन्मे हैं, वे अपने बच्चों को जो विदेश में पैदा हुए हैं, नागरिकता नहीं दे सकते।
यह कानून वर्ष 2009 में संसद में पारित किया गया था। इसके तहत वंशानुगत नागरिकता केवल पहली पीढ़ी तक सीमित थी, यानी जो कनाडा में पैदा हुए थे। अब इस खामी को ठीक करने के लिए नया कानून लाया गया है।
नए कानून में क्या है खास?
नए बिल के मुताबिक, माता-पिता को कनाडा से पर्याप्त जुड़ाव (संपर्क) दिखाना होगा। इसके तहत यह जरूरी होगा कि बच्चे के जन्म या गोद लिए जाने से पहले माता-पिता ने कनाडा में कम से कम तीन साल का भौतिक रूप से निवास किया हो।
पहले केवल पहली पीढ़ी को मिलती थी नागरिकता
इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के अनुसार, मौजूदा कानून की वजह से विदेश में जन्म लेने वाले अधिकांश कनाडाई नागरिक अपने बच्चों को नागरिकता नहीं दिला पाते थे। इस कानून की वजह से कई परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
किन लोगों को होगा सीधा फायदा?
अगर यह नया नागरिकता कानून कनाडाई संसद से पास हो जाता है, तो कई अप्रवासी परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। खासकर भारतीय अप्रवासी और अन्य आप्रवासी समुदायों को राहत मिल सकती है।
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इमिग्रेशन नीतियों को सख्त कर दिया था। 20 जनवरी को उन्होंने H-1B और F-1 जैसे अस्थायी वीज़ा पर अमेरिका में जन्मे बच्चों के बर्थराइट को समाप्त कर दिया था। ऐसे में कनाडा का यह कदम भारतीय अप्रवासियों के लिए काफी राहत भरा हो सकता है।
अभी कानून बनने में लगेगा समय
हालांकि यह बिल संसद में पेश हो चुका है, लेकिन इसके कानून बनने में अभी वक्त लगेगा। यह बिल तीन रीडिंग्स से गुजरेगा और फिर रॉयल असेंट (राजकीय स्वीकृति) मिलनी जरूरी है।
वहीं, IRCC ने पुष्टि की है कि यदि यह बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है और रॉयल असेंट मिलती है, तो सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में काम करेगी।