क्या भारत-चीन संबंधों की होगी नई शुरुआत? राजनाथ सिंह जाएंगे चीन, SCO बैठक में होंगे शामिल

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राजनाथ सिंह जाएंगे चीन, SCO बैठक में होंगे शामिल

चीन के दौरे पर जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 25 से 27 जून के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए चीन के छिंगदाओ (Qingdao) शहर का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के समाधान की दिशा में यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है।

2020 की गलवान झड़प के बाद पहली यात्रा

यह यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि राजनाथ सिंह पहली बार चीन जा रहे हैं उस दुखद घटना के बाद, जब मई 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है।

राजनाथ सिंह की यह यात्रा उस महत्वपूर्ण पहल के बाद हो रही है, जो अक्टूबर 2024 में भारत और चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए शुरू की गई थी। ऐसे में यह मुलाकात दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में अहम क़दम हो सकती है।

SCO में शामिल हैं कई प्रमुख देश

SCO में भारत और चीन के अलावा रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस जैसे देश शामिल हैं। इस बैठक के दौरान सदस्य देशों के रक्षा मंत्री आपसी सहयोग और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

चीन के रक्षा मंत्री से हो सकती है द्विपक्षीय वार्ता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस SCO बैठक के अलावा भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बातचीत की भी संभावना जताई जा रही है। राजनाथ सिंह की चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से अलग से मुलाकात हो सकती है। इस दौरान सीमा पर बने तनाव और सैन्य गतिरोध पर बातचीत होने की उम्मीद है।

अन्य देशों के रक्षा मंत्रियों से भी करेंगे मुलाकात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस दौरे के दौरान रूस जैसे करीबी दोस्त देश के रक्षा मंत्री के साथ भी बैठक करेंगे। इसके अलावा कई अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों से भी द्विपक्षीय बातचीत की संभावना है।

निष्कर्ष:

राजनाथ सिंह की यह यात्रा न केवल SCO की बैठक के लिहाज से अहम है, बल्कि भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत के तौर पर भी देखी जा रही है। अब देखना यह है कि क्या इस बैठक से पूर्वी लद्दाख विवाद को लेकर कोई ठोस समाधान निकल पाता है या नहीं।

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