पियूष चावला का संन्यास: दो बार वर्ल्ड कप जीतने वाले भारतीय गेंदबाज ने क्रिकेट को कहा अलविदा, बोले – “अब विदा लेने का समय आ गया है”

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट को दो दशकों से भी अधिक समय तक समर्पित सेवा देने के बाद, अनुभवी लेग स्पिनर पियूष चावला ने शुक्रवार को सभी फॉर्मेट्स से संन्यास लेने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।
पियूष चावला का क्रिकेट सफर शानदार उपलब्धियों, संघर्षों और वापसी की कहानियों से भरा रहा है। उन्होंने भारत को 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि उनका नाम भारतीय क्रिकेट के सबसे यादगार लम्हों से जुड़ा रहा है।
संन्यास की घोषणा करते हुए चावला ने भावुक अंदाज़ में अपने परिवार, आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों और फैंस का दिल से शुक्रिया अदा किया। उन्होंने खासतौर पर अपने दिवंगत पिता को याद करते हुए कहा कि उन्हीं की प्रेरणा और समर्थन से उनका क्रिकेट करियर शुरू हुआ और ऊंचाइयों तक पहुंचा।
चावला ने 17 साल की उम्र में ही दिग्गजों को चौंका दिया था। उन्होंने उस वक्त नेट्स में सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों को आउट किया और फिर टीम इंडिया में बतौर युवा लेग स्पिनर अपनी जगह बनाई।
उन्होंने भारत के लिए 3 टेस्ट, 25 वनडे और 7 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4 विकेट 23 रन रहा। भले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका सफर सीमित रहा हो, लेकिन घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में उनका योगदान बेहद शानदार रहा।
उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 446 विकेट और टी20 में 319 विकेट अपने नाम किए। वो उत्तर प्रदेश के लिए लगातार खेलते रहे और कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) जैसी टीमों के लिए उन्होंने कई बार जीत दिलाने वाला प्रदर्शन किया। KKR के साथ उन्होंने 2012 और 2014 में आईपीएल खिताब भी जीते।
आईपीएल उनके करियर का एक अहम अध्याय रहा। चावला को दबाव में बेहतरीन गेंदबाज़ी करने के लिए जाना जाता है और यही वजह है कि वे लीग के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाज़ों में शुमार हुए। उन्होंने कई फ्रेंचाइज़ियों के लिए खिताबी जीतों में अहम भूमिका निभाई।
अब जब पियूष चावला ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है, तो उनके नाम के साथ जुड़ी यादें भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।